ए चांद निकल आना आज सुबह सुबह ही
क्यों इतने चांदो को है प्यासा रखता
क्यों डर नहीं तुझे इन प्यासी आहो का
निकल जल्दी तुझे चांदनी का वास्ता
पानी की बूंद भी आज कमाल करती है
वो पी ले तो हम निकले, ना पिए तो उम्रदराज करती है
तेरा वादा जान बचाने का सच्चा नही रहा
कितने वर्त रखती थी शहीद की बेवा भी
रखवाला जो सरहद का अब दुनिया में नहीं रहा
अगर तु उम्रदराजी की गारंटी दे पाए
रखेगा वर्त सारा देश, अब और शहीदी न जाए
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